हजारा । पीलीभीत जनपद के ट्रांस शारदा क्षेत्र में स्थित एकमात्र एतिहासिक गुरुद्वारा नानक साहिब खजूरिया सिद्धनगर में संत बाबा दिलबाग सिंह की सरपरस्ती तथा प्रबंधक कमेटी के तत्वावधान में श्री गुरु अर्जुनदेवजी के शहीदी दिवस को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया गया । इस उपलक्ष्य गुरुद्वारा साहिब के परिसर में ठंडे मीठे जल की छबील लगाई गई। इस अवसर पर आस पास के क्षेत्रों से काफी संख्या में संगत पहुंची थी।
सिक्खों के पांचवें गुरु तथा शहीदों के सरताज श्री गुरु अर्जुनदेव जी का शहीदी दिवस सोमवार को एतिहासिक गुरुद्वारा नानक साहिब खजूरिया सिद्धनगर में मनाया गया। यहां आपको बता दें कि श्री गुरु अर्जुनदेवजी के शहीदी दिवस को समर्पित शनिवार से चल रहे श्री अखंडपाठ साहिब का समापन सोमवार को गुरुद्वारा साहिब के मुख्य ग्रंथी बाबा बलजीत सिंह के द्वारा किया गया। इसके उपरांत गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से ठंडे मीठे जल की छबील लगाई गई ।गुरुद्वारा साहिब के मेन गेट पर ठंडे मीठे जल की छबील लगाकर काफी संख्या में सेवादारों ने जिसमें बच्चों तथा युवाओं ने बड़े उत्साह के साथ संगत के साथ साथ राहगीरों को ठंडा मीठा शरबत पिलाने की सेवा की।
इस दौरान प्रबंधक कमेटी के प्रधान रणजीत सिंह ने हमें बताया कि 1606 में मुगल बादशाह जहांगीर ने ईर्ष्या के कारण बहुत यातनाएं देकर शहीद करवा दिया था। श्री गुरु अर्जुनदेवजी सिक्खों के पांचवें गुरु थे। उन्होंने आगे कहा कि श्री गुरु अर्जुनदेवजी ने अपना जीवन धर्म और लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया था। वे सभी धर्मों को एक समान द्रष्टि से देखते थे।
वहीं दूसरी ओर गुरुद्वारा साहिब के मुख्य ग्रंथी बाबा बलजीत सिंह ने जानकारी देते हुए हमें बताया कि श्री गुरु अर्जुनदेवजी का जन्म 15 अप्रैल 1563 में हुआ था। इनके पिता गुरु रामदास स्वंय सिक्खों के चौथे गुरु थे। जबकि इनके नाना श्री गुरु अमरदास जी सिक्खों के तीसरे गुरु हुए थे। वहीं 1581 में श्री गुरु अर्जुनदेवजी सिक्खों के पांचवें गुरु बने थे। आगे उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह जहांगीर का पुत्र सिक्ख बनने की इच्छा रखता था। जिसके कारण मुगल बादशाह जहांगीर श्री गुरु अर्जुनदेवजी के साथ द्वेष तथा ईर्ष्या रखने लग गया था। जिसका परिणाम यह हुआ कि जहांगीर श्री गुरु अर्जुनदेव जी को गिरफ्तार कर प्रताड़ित करने लग गया था। यहां तक की गर्म तवे पर बिठाकर ऊपर से गर्म रेत डाली गई थी। गुरु जी को खौलते पानी में उबाला गया था। इस तरह से हिंदू धर्म की रक्षा करते हुए श्री गुरु अर्जुनदेवजी शहीद हो गए थे। इस तरह श्री गुरु अर्जुनदेवजी ने अपना जीवन धर्म के साथ साथ लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया था। वह सभी धर्मों को एक समान मानते थे। इस दौरान मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान रणजीत सिंह, जत्थेदार बाबा दीपा सिंह, मुख्य ग्रंथी बाबा बलजीत सिंह, उप प्रधान महेन्द्र सिंह, हरपिंदर सिंह, पूर्व उप प्रधान दलबीर सिंह, पूर्व उप प्रधान निशान सिंह, मैनेजर सतनाम सिंह फौजी समेत तमाम सेवादार मौजूद रहे ।
