सिरोही – विद्यालयों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण व समारोह में आगमन पर अब स्वागत सत्कार पर खर्च नहीं करना पड़ेगा। शिक्षा विभाग ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठकों और सरकारी दौरे पर होने वाले फिजूल खर्चे पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। शिक्षा बचाओ समिति के संयोजक गोपाल सिंह राव ने निदेशक के इस आदेश का स्वागत किया है। राव के अनुसार शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने आदेश जारी किया है कि अब कोई भी शिक्षा अधिकारी सरकारी दौरे, अन्य कार्यक्रम में जाने पर स्वागत नहीं करवाए। विद्यालय दौरे , निरीक्षण व समारोह में सहभागिता करते समय पगड़ी, स्मृति सिन्ह, गुलदस्ता,उपरना पहनने स्वीकार करने पर रोक लगाई।यह सब स्वागत सत्कार करना व करवाना नियमों के खिलाफ होगा। शिक्षा निदेशक के इस आदेश से विद्यालयों को बड़ी राहत मिलेगी।शहर के विद्यालयों,शहर के निकटवर्ती विद्यालयों व मुख्य सड़कों से सटे विद्यालयों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के दौरे, निरीक्षण, कार्यक्रम बहुत होते है। अधिकारियों के स्वागत सत्कार हेतु कोई बजट नहीं होता है। प्रधानाचार्य को मजबूरन स्वागत का खर्चा या तो अपनी जेब से करना पड़ता है या इसका जुगाड़ विद्यालय के अन्य बजट से समायोजित करता है। इस आदेश से प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापकों को बड़ी राहत मिल रही है। शिक्षा विभाग द्वारा दिए लक्ष्य व अन्य विभागीय कार्यों के लिए आए दिन संयुक्त निदेशक, सहायक निदेशक,उप निदेशक,सीडीईओ, डीईओ,सीबीईओ व अन्य अधिकारी औचक निरीक्षण, आकस्मिक निरीक्षण व अन्य विभागीय कार्यों के नाम पर विद्यालय पहुंचते रहते हैं। विद्यालय में प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापकों को हर समय साफा, स्मृति चिन्ह, उपरना रखना पड़ता है तथा आनन फानन में माला, गुलदस्ता व अल्पाहार मंगवाना पड़ता है। शिक्षक नेता गोपाल सिंह राव ने बताया कि फिजूलखर्ची रोकना बहुत अच्छा निर्णय है। सरकार ने बैठकों में इस्तेमाल होने वाले बोतल बंद पानी पर भी रोक लगाई है । विभाग का तर्क है कि इससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश जाएगा ।प्लास्टिक सामग्री के उपयोग पर भी रोक लगाई गई है। साथ ही शिक्षा विभाग की बैठक में बजट और प्रावधानों के तहत ही चाय नाश्ते की स्वीकृति भी है। बजट नहीं हो वहां बिना चाय नाश्ते के ही काम चलाना पड़ेगा। निदेशालय व अन्य स्थानों से जिलों के निरीक्षण के समय शिक्षा अधिकारियों को सरकारी गेस्ट हाउस ,सर्किट हाउस या राजकीय आवास आदि में रुकने को कहा गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के आगमन पर विद्यालयों को स्वागत सत्कार, अल्पाहार,भोजन, होटलों में रूकने पर हजार से लेकर पांच हजार रुपए तक का खर्चा करना पड़ता था। कुछ अधिकारी तो निरीक्षण में अपना परिवार भी साथ लेकर आते है। उनकी खातिर की जिम्मेदारी भी विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य या स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों के ऊपर आ जाती है। सिरोही जिले में निरीक्षण के समय अधिकांश शिक्षा विभाग के अधिकारी आबू पर्वत पर घूमने का कार्यक्रम सह परिवार बनाकर आते है। राजस्थान सरकार व शिक्षा निदेशक ने फिजूलखर्ची माला,साफा, स्मृति सिन्ह, गुलदस्ता, उपरना, अल्पाहार, प्लास्टिक बोतल बंद पानी पर रोक लगाई है जिससे प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य हर्षित है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा वीआईपी कल्चर को धीरे धीरे सभी जगह कम रहे है।यह बहुत ही कारगर कदम है। सरकार व शिक्षा निदेशक का यह निर्णय तथा आदेश सराहनीय, प्रशंसनीय, अनुकरणीय है।
