बच्चों की मेंटल और ब्रेन हेल्थ दोनाें को नुकसान पहुंचा सकता है स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल, जान लीजिए इसके जोखिम

क्या आप भी बच्चों को बिजी करने के लिए, खाना खिलाने के लिए या नर्सरी राइम सिखाने के लिए हाथ में स्मार्ट फोन पकड़ा देती हैं? तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये आपके बच्चे की मेंटल हेल्थ को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।

आज के दौर में मोबाइल भी एक अधुनिक फैशन बन चुका है। फिर चाहे बच्चा हो, बड़ा हो या बुजुर्ग, कोई भी इसके प्रयोग से अछूता नहीं रहा। एक नहीं बल्कि दो-दो मोबाइल का प्रयोग ट्रेंड बनता जा रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं छोटे बच्चों को खाना खिलाने या शांति से बैठाए रखने के लिए भी अकसर लोग उन्हें स्मार्ट फोन पकड़ा देते हैं। जबकि आपको यह भी जानकारी होनी चाहिए कि मोबाइल फोन आपके बच्चे की हेल्थ को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।
ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि मोबाइल से बच्चा नई टैक्नोलॉजी के बारे में सीखता है, लेकिन यह भी सच है कि इसके प्रयोग से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ता है। मोबाइल का प्रयोग दिमाग की रफ्तार को कम करने के साथ साइबर बुल्लाइंस, डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी समस्या को भी जन्म दे सकता है। ऐसे में मां-बाप बच्चे के लिए नियम व शर्त तय करें जिससे बच्चे को इस खतरे से बचाया जा सके।

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बच्चों की मेंटल और ब्रेन हेल्थ दोनाें को नुकसान पहुंचा सकता है स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल, जान लीजिए इसके जोखिम

क्या आप भी बच्चों को बिजी करने के लिए, खाना खिलाने के लिए या नर्सरी राइम सिखाने के लिए हाथ में स्मार्ट फोन पकड़ा देती हैं? तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये आपके बच्चे की मेंटल हेल्थ को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।

Mobile phone se kaise bachein
नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने और फोन से खुद को दूर रखने के लिए रात को सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करने से परहेज करें। चित्र शटरस्टॉक

आज के दौर में मोबाइल भी एक अधुनिक फैशन बन चुका है। फिर चाहे बच्चा हो, बड़ा हो या बुजुर्ग, कोई भी इसके प्रयोग से अछूता नहीं रहा। एक नहीं बल्कि दो-दो मोबाइल का प्रयोग ट्रेंड बनता जा रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं छोटे बच्चों को खाना खिलाने या शांति से बैठाए रखने के लिए भी अकसर लोग उन्हें स्मार्ट फोन पकड़ा देते हैं। जबकि आपको यह भी जानकारी होनी चाहिए कि मोबाइल फोन आपके बच्चे की हेल्थ को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।
ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि मोबाइल से बच्चा नई टैक्नोलॉजी के बारे में सीखता है, लेकिन यह भी सच है कि इसके प्रयोग से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ता है। मोबाइल का प्रयोग दिमाग की रफ्तार को कम करने के साथ साइबर बुल्लाइंस, डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी समस्या को भी जन्म दे सकता है। ऐसे में मां-बाप बच्चे के लिए नियम व शर्त तय करें जिससे बच्चे को इस खतरे से बचाया जा सके।

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क्या कहता है स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्मार्टफोन तकनीक का उपयोग करने वाले बच्चों से जुड़े जोखिम को पहचानना शुरू कर दिया है। वाशिंगटन पोस्ट ने हाल में डब्लूएचओ की रिपार्ट पर लिखा है कि दो से चार साल के बच्चे को एक दिन में एक घंटा स्क्रीन टाइम होना चाहिए। चार से अधिक के लिए दो घंटे हर दिन सही है। इससे अधिक प्रयोग से आंख के साथ मेंटल हेल्थ पर प्रभाव दिखने लगता है।

सोचने और जानने की शक्ति प्रभावित करता है स्मार्टफोन

भोपाल के जेके हॉस्पिटल एलएन मेडिकल कॉलेज की चाइल्ड रोग विशेषज्ञ डॉ यामिनी जामोद कहती हैं अधिक समय बच्चे को मोबाइल देना सेहत के लिए सही नहीं है। वे कहती हैं बच्चों में किसी चीज़ को सीखने ललक होती है, तो अधिक जिज्ञासा के कारण वह गलत चीज़ें सीख सकते हैं। इसके अलावा मेंटल हेल्थ पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है अवसाद, नींद पूरी न होना जैसी समस्या होती है। बच्चे को मोबाइल का प्रयोग जितना कम समय के लिए होगा बेहतर है।

और भी हो सकती हैं स्मार्ट फोन के कारण समस्याएं

1 कमजोर हो सकती है आंखों की रोशनी

स्मार्टफोन के प्रयोग से वयस्क और बच्चे दोनों में दिक्कत हो सकती है। डिजिटल आई स्ट्रेन शब्द स्मार्टफोन से होने वाले नकारात्मक प्रभाव का दर्शाता है। जिससे आपको आंख का दर्द, धुंधलापन, सिरदर्द, आंख में सूखेपन का एहसास हो सकता है।
चोनम विश्वविद्यालय में एक शोध के अनुसार 7 से 16 वर्ष के अधिकांश बच्चे जिन्होंने स्मार्टफोन में अधिक समय बिताया था वे तिरछी नजर वाले हो गए। चार घंटे अधिक समय बिताने से क्रॉस आई होने की समस्या सबसे अधिक होती है। फोन से 30 मिनट के अंतराल एक गैप लेना चाहिए।

2 बढ़ सकता है ट्यूमर का खतरा

स्मार्टफोन के अधिक प्रयोग से ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है। बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए। अध्यन से यह पता चला है कि स्मार्टफोन का यूज ज्यादा करने से ट्यूमर का खतरा बढ़ता है। स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए क्वालिटी टाइम के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें। बच्चों को बोरियत न महसूस हो इसके लिए उनके साथ अधिक समय बिताएं।

3 भावनात्मक रूप से अस्थिर हो रहे हैं बच्चे

स्मार्टफोन बच्चों को सोशल मीडिया का आदि बना देता है। एक साथी की तुलना खुद से करने की अधिक चाहत बच्चों में होती है। इंटरनेट की दुनिया बहुत बड़ी है। इसमें बच्चे की मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी के अनुसार सोशल मीडिया का प्रयोग करने वालो बच्चों में अवसाद, चिंता, नींद पूरी न होने की समस्या होती है। ऐसे में माता-पिता को बच्चो को मोबाइल के नकारात्मक प्रभावों को बता इससे दूर रखना चाहिए |

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